गुलजार साहब | GULZAR SAHAB
✯ हवा गुजर गई, पत्ते थे कुछ हीले भी नहीं
वह मेरे शहर में आए भी, और मिले भी नहीं
✯ सिर्फ हम ही, हम हैं तेरे दिल में
बस यही गलतफहमी, हमें बर्बाद कर गई
✯ खोकर पता चलती है,
कीमत किसी की, पास हो अगर
तो एहसास कहां होता है
✯ आदत थी मेरी, सबसे हंसकर बोलने की
पर मेरा यही शौक, मुझे बदनाम कर गई
✯ बहुत आसान है जमीन पर, आलीशान मकान बना लेना
लेकिन दिल में जगह बनाने में, जिंदगी गुजर जाती है
✯ देखा करो कभी कभी, अपनी मां की आंखों में भी
ये वो आईना होता है, जिसमें बच्चे कभी बूढ़े नहीं होते
✯ यूं ही छलक गए होंगे, आंखों से आंसू
हर इल्जाम उसकी यादों पर, डालना अच्छी बात नहीं
✯ कुछ इस तरह से, हमारे रिश्ते ने आखिरी सांस ली
न मैंने पलट कर देखा, ना तुम ने आवाज दी
✯ सारे घर के उजाले का, जिम्मा था मुझ पर
जब बुझने लगा चिराग, तो चलना पड़ा मुझे
✯ देने वाली चीजों में,
वक्त सबसे हसीन तोहफा होता है
– सौरव ज्ञाना
MOTIVATIONAL SPEAKER & GS TEACHER