सात्विक जीवन क्या है ?
☞ सात्विक जीवन :
बहुत सारे लोगों में यह मान्यता है कि यदि हमारे भोजन में मांसाहार का समावेश नहीं होगा तो हमारे शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाएगी, परंतु यदि हम अपने आस-पास एवं अन्य प्राणियों की जीवन शैली देखें तो उसमें से कई आश्चर्यजनक तथ्य हमारे समक्ष आएंगे। मिसाल के तौर पर कई ऐसे जानवर होते हैं जो शाकाहारी होते हुए भी बड़े शक्तिशाली होते हैं। इनमें से सबसे अच्छा उदाहरण हाथी का है, जो सभी प्राणियों में शक्तिशाली प्राणी माना जाता है, जो पत्ते, फूल-फल खाकर भी बड़े-बड़े वृक्ष सहजता से उखाड़ देता है।
जब हम उपरोक्त मान्यताओं से बाहर आकर सत्य से अवगत होते हैं, उस घड़ी से हमारे अंदर आध्यात्मिक संवेदना जागृत होना शुरू हो जाती है, जिसके फलस्वरूप हमारे आचार-विचार में सकारात्मक परिवर्तन आने लगता है। यह नवजागृत संवेदनशीलता हमारे शरीर और उसमें निवास करने वाली आत्मा, दोनों के प्रति हमें एक नई विशाल दृष्टि प्रदान करती है, जिससे हमारी सूक्ष्म शक्तियों में वृद्धि होती है और हमारा सूक्ष्म मन यह निर्णय करने में सक्षम हो जाता है कि जो अन्न हम ग्रहण कर रहे हैं वह हमारे तन और मन के लिए स्वास्थ्यवर्धक है या नहीं? मनुष्य को शाकाहारी क्यों होना चाहिए? इसका उत्तर बड़ी आसानी से दिया जा सकता है। सर्वप्रथम इस हकीकत से अवगत होना आवश्यक है कि हम मनुष्यों की प्रवृत्ति स्वाभाविक ही अहिंसक है एवं हमारा मूल संस्कार दयाशीलता और क्षमाशीलता का है। ऐसा देखा गया है कि वर्तमान समय समग्र विश्व में चारों ओर जो दु:ख, अशांति, चिंता, भय, तनाव का वातावरण है उसका एक मुख्य कारण मनुष्य का खान-पान है? एक स्वस्थ शरीर वही होता है जो अंदर-बाहर से स्वच्छ हो। जब हम सात्विक जीवनशैली को अपनाकर शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन प्रेम-आनंद से ग्रहण करते हैं तब हमारा तन और मन भरपूर हो जाता है और हमारे आसपास का वातावरण प्रेम, शांति और आनंदमय बन जाता है और ऐसा सकारात्मक वायुमंडल सभी को शांत व सुखी जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
– सौरव कुमार निकेश
पटना बिहार
Very good
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