चाणक्य मानते हैं कि जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं है उस पर तो विश्वास करने का प्रश्न ही नहीं उठता, परंतु उनका यह भी कहना उचित है कि अच्छे मित्र के संबंध में भी पूरी तरह विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि वह नाराज हो गया तो सारे भेद खोल देगा।
आज बड़े-बड़े नगरों में जो अपराध बढ़ रहे हैं, जो कुकर्म हो रहे हैं, उनके पीछे परिचित व्यक्ति ही अधिक पाए जाते हैं। 'घर का भेदी लंका ढाए' यह कहावत गलत नहीं है। जो बहुत अच्छा मित्र बन जाता है, वह घर के सदस्य जैसा हो जाता है। व्यक्ति भावुक होकर उसे अपने सारे भेद बता देता है, फिर जब कभी मन-मुटाव उत्पन्न होते हैं तो वह कथित मित्र ही सबसे ज्यादा नुकसान देने वाला सिद्ध होता है। ऐसा मित्र जानता है आपके मर्मस्थल कौन से हैं। घर में काम करने वाले कर्मचारी के बारे में भी इस प्रकार की सावधानी रखना आवश्यक है।
दोस्तों मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है यह श्लोक आपके जीवन में जो अंधकार छाई हुई थी उस अंधकार को मिटाकर के अब आपके जीवन में प्रकाश की रोशनी बिखेर दी होगी। तो दोस्तों आज के लिए इस आर्टिकल में सिर्फ इतना है आप मुझे इजाजत दीजिए आपका अपना सौरव ज्ञाना अब आपसे विदा लेता है फिर मिलेंगे किसी प्रेरक लेख को लेकर। धन्यवाद
– सौरव ज्ञाना
MOTIVATIONAL SPEAKER & GS TEACHER
Wonderful 🤗
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