Top 5 AACHARYA CHANAKYA NITI | टॉप 5 आचार्य चाणक्य नीति | जीवन को बदल देने वाली नीति

  
TOP 5 AACHARYA CHANAKYA NITI

प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते।।

अर्थ : कार्य छोटा हो या बड़ा व्यक्ति को शुरू से ही उसमें पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए, यह शिक्षा हम सिंह से ले सकते हैं।
इसका भाव यह है कि व्यक्ति जो भी कार्य करे, चाहे वह छोटा हो अथवा बड़ा, उसे पूरी शक्ति लगाकर करना चाहिए, तभी उसमें सफलता प्राप्त होती है। सिंह पूरी शक्ति से शिकार पर झपटता है। वह बड़ा हो या छोटा। बड़े को देखकर घबराता नहीं और छोटे की उपेक्षा नहीं करता। सफलता पाने के लिए प्रयास पर विश्वास आवश्यक है।

इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः।
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्।।

अर्थ : बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में करके समय के अनुरूप अपनी क्षमता को तौलकर बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए।
बगुला जब मछली को पकड़ने के लिए एक टांग पर खड़ा होता है तो उसे मछली के शिकार के अतिरिक्त अन्य किसी बात का ध्यान नहीं होता। इसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति किसी कार्य की सिद्धि के लिए प्रयत्न करे तो उसे अपनी इन्द्रियां वश में रखनी चाहिए। मन को चंचल नहीं होने देना चाहिए तथा चित्त एक ही दिशा में, एक ही कार्य की पूर्ति में लगा रहे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। शिकार करते समय बगुला इस बात का पूरा अंदाजा लगा लेता है कि किया गया प्रयास निष्फल तो नहीं जाएगा।

प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बंधुषु।
स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।।

अर्थ : समय पर उठना, युद्ध के लिए सदा तैयार रहना, अपने बन्धुओं को उनका उचित हिस्सा देना और स्वयं आक्रमण करके भोजन करना मनुष्य को ये चार बातें मुर्गे से सीखनी चाहिए।

गूढमैथुनचरित्वं च काले काले च संग्रहम्।
अप्रमत्तमविश्वासं पञ्च शिक्षेच्च वायसात्।।

अर्थ : छिपकर मैथुन करना, ढीठ होना, समय-समय पर कुछ वस्तुएं इकट्ठी करना, निरंतर सावधान रहना और किसी दूसरे पर पूरी तरह विश्वास नहीं करना, ये पांच बातें कौए से सीखने योग्य है।

बह्वाशी स्वल्पसन्तुष्टः सुनिद्रो लघुचेतनः।
स्वामिभक्तश्च शूरश्च षडेते श्वानतो गुणाः।।

अर्थ : बहुत भोजन करना लेकिन कम में भी संतुष्ट रहना, गहरी नींद लेकिन जल्दी से उठ बैठना, स्वामिभक्ति और बहादुरी ये छह गुण कुत्ते से सीखने चाहिए।

सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न च पश्यति।
सन्तुष्टश्चरते नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात्।।

अर्थ : व्यक्ति को ये तीन बातें गधे से सीख लेनी चाहिए-अपने मालिक के लिए बोझ ढोना, सर्दी-गर्मी की चिंता नहीं करना तथा सदा संतोष से अपना जीवन बिताना।

मेरे प्रिय पाठक गण, यह लेख आपको कैसी लगी आप अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिएगा। और हां अपने सगे संबंधी के साथ शेयर भी जरूर कीजिएगा। धन्यवाद

@ सौरव ज्ञाना
Motivational Speaker & GS TEACHER

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