अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावणः।
अतिदानात् बलिर्बद्धो अति सर्वत्र वर्जयेत्।।
अर्थात :
अत्यंत रूपवती होने के कारण ही सीता का अपहरण हुआ, अधिक अभिमान होने के कारण रावण मारा गया, अत्यधिक दान देने के कारण राजा बलि को कष्ट उठाना पड़ा, इसलिए किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए। अति का सर्वत्र त्याग कर देना चाहिए।
चाणक्य ने यहां इतिहास प्रसिद्ध उदाहरण देकर यह समझाने का प्रयत्न किया है। कि प्रत्येक कार्य की एक सीमा होती है। जब उसका अतिक्रमण हो जाता है तो व्यक्ति को कष्ट उठाना पड़ता है। सीता अत्यंत रूपवती थी, इसी कारण उनका अपहरण हुआ। इसी प्रकार रावण यद्यपि अत्यंत बलवान और समृद्ध राजा था, परंतु अभिमान की सभी सीमाएं लांघ गया। परिणामस्वरूप उसे अपने स्वजनों के साथ मौत के घाट उतरना पड़ा, राजा बलि के संबंध में सभी जानते हैं कि वह अत्यंत दानी था। उसके दान के कारण जब उसका यश सारे संसार में फैलने लगा तो देवता लोग भी चिन्तित हो उठे। तब भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लेकर उससे तीन पग धरती दान में मांगी। बलि के गुरु शुक्राचार्य ने उसे सावधान भी किया, परंतु बलि ने उनकी बात न मानकर वामन बने विष्णु की बात मान ली और भगवान ने तीन पगों में धरती, स्वर्ग और पाताल–तीनों लोकों को नापकर बलि को भिखारी बना दिया।
इन सब उदाहरणों का भाव यही है कि अच्छाई भी एक सीमा से आगे बढ़ जाती है। तो विनाश का कारण बन जाती है। इसलिए किसी भी काम में अति नहीं करना चाहिए।
एक उदाहरण और मिलती है और वह है धनानंद की अपनी राजपाट पर अभिमान जैसा की आप सभी को पता है धनानंद आचार्य चाणक्य को अपने दरबार से घसीट कर के बाहर फेकवा दिया था। कहते हैं ना नियति का खेल बहुत निराली होती है। और इसी समय आचार्य चाणक्य धनानंद के राजमहल के बाहर आकर के प्रतिज्ञा लिए की मैं चानक पुत्र विष्णु गुप्त मैं अपनी शिखा की कसम खाता हूं कि मैं जब तक तुम्हारा सारा राजपाट सर्वनाश नहीं कर दूं तब तक मैं अपनी इस शिखा को नहीं बांध दूंगा। ठीक उसके बाद ही आचार्य चाणक अपने शिखा को खोल दिया और धनानंद की अभिमानी को तोड़ने के लिए मगध में एक नया राजा बनाने की खोज में निकल पड़े। दोस्तों यह कहानी बहुत लंबी है अगर इस कहानी को हम यहां लेख के रूप में लिखते हैं तो काफी समय लग जाएगी लगभग अधिक समय जो आपको लगातार पढ़ने में कहीं ना कहीं असमंजस सी महसूस होगी इसलिए हम आपकी सुविधा के लिए आचार्य चाणक्य नीति छोटे-छोटे भाग्य बना करके आप सभी युवा भाई बहनों के बीच प्रस्तुत करता रहूंगा। धन्यवाद
– सौरव ज्ञाना
MOTIVATIONAL SPEAKER & GS TEACHER