आचार्य चाणक्य नीति
जय हिंद दोस्तों,
आज के इस लेख में आचार्य चाणक्य नीति द्वारा एक सफल नीति निकल कर के हम सबके बीच आई है। इस आचार्य चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर व्यक्ति अपने सामर्थ को पकड़ लेता है तो उस व्यक्ति के लिए कोई भी काम कठिन और आसान नहीं होता है। बल्कि व्यक्ति के लिए हर काम आनंद का रूप ले लेती है। तो आइए आज की इस आर्टिकल में अपने ज्ञान की गंगा में गोता लगाते हैं।
को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशः सविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम्।।
अर्थात :
समर्थ अथवा शक्तिशाली लोगों के लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। व्यापारियों के लिए भी कोई स्थान दूर नहीं, पढ़े-लिखे विद्वान व्यक्तियों के लिए कोई भी स्थान विदेश नहीं। इसी प्रकार जो मधुरभाषी हैं, उनके लिए कोई पराया नहीं होता है।
जो लोग शक्तिशाली हैं अर्थात जिनमें सामर्थ्य है, उनके लिए कोई भी काम पूरा कर लेना कठिन नहीं होता है। वे प्रत्येक कार्य को सरलतापूर्वक कर लेते हैं। व्यापारी अपने व्यापार की वृद्धि के लिए दूर-दूर के देशों में जाते हैं, उनके लिए भी कोई स्थान दूर नहीं। विद्वान व्यक्ति के लिए भी कोई परदेस नहीं। वह जहां भी जाएगा, विद्वत्ता के कारण वहीं सम्मानित होगा। इसी प्रकार मधुर भाषण करने वाला व्यक्ति पराये लोगों को भी अपना बना लेता है। उसके लिए पराया कोई भी नहीं होता, सब उसके अपने हो जाते हैं।
दोस्तों आज के इस आचार्य चाणक नीति लेख को पढ़ने के बाद आपको कैसी लगी। आप अपना प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिएगा क्योंकि हम आपके प्रतिक्रिया का इंतजार करते हैं। मेरे प्यारे युवा साथी अगर यह लेख आपके जीवन में परिवर्तन लाने की संभावना है तो इस लेख को अपने सारे सगे संबंधी के साथ शेयर जरूर कीजिएगा। धन्यवाद
– सौरव ज्ञाना
Motivational Speaker & GS TEACHER